The King's trick wisdom of minister - Weird Web Series



The King's trick the wisdom of the minister- Hindi Story Weird Web Series Story in Hindi 

राजा का चाल मंत्री की बुद्धि- बुद्धि का खेल - Hindi Story 

कहानी जैसा कि हम जानते हैं हमारे जीवन में होने वाले सभी छोटे-बड़े घटनाओं पर कहानी बनाई जाती हैं जो काल्पनिक और वास्तविक भी होती हैं जीवन में जब भी हम कोई कहानी सुनते हैं तो उस कहानी से हमें कुछ ना कुछ सीखने को जरूर मिलता है 


नमस्ते दोस्तों आप सभी लोगों का ‘Weird वेब सीरीज’ में स्वागत है। आज मैं एक ऐसी ही कहानी लेकर आया हूं। कहानी का नाम है राजा की चाल मंत्री की बुद्धि का खेल इस कहानी में एक राजा होते हैं। जिनको एक खेल का श्राप लगा होता है। और वह उस खेल के खेले बिना कोई भी युद्ध नहीं लड़ने जाते हैं। यदि राजा उस खेल को नहीं खेले तो वह युद्ध हार जाएंगे। राजा बहुत ही बुद्धिमान और बलवान होते हैं। उनका एक पुत्र होता है। जिसका नाम मनुघ होता है।


आइए अब चलते हैं इस कहानी पर और कहानी को सुनते हैं।


राजा की चाल मंत्री की बुद्धि -  बुद्धि का खेल Weird Web Series -Hindi Kahani


एक उब्रा नाम का राज्य था। जहां पर उग्रघु नाम का राजा राज्य करते थे।  राज्य बहुत ही संपन्न था। वहां के लोग राजा से बहुत प्रसन्न थे। राजा बहुत बुद्धिमान, बलवान और साहसी थे।  राजा का पराक्रम इतना बलवान था। कि उन्हें अभी तक कोई पराजय नहीं कर सका था।


राजा का एक पुत्र था। जिसका नाम मनुघ था। मनुघ बहुत छोटा बालक था। राजा का नाम दूर-दूर तक फैला हुआ था राजा बहुत बलवान थे राजा जब भी कोई युद्ध लड़ने जाते थे तो युद्ध कई महीनो तक चलते रहते थे राजा जब भी कोई युद्ध लड़ने जाते तो युद्ध प्रारंभ होने से पहले दो राजाओं के बीच एक खेल होता था यदि इस खेल में कोई राजा जीत जाए तो उसकी सेना पहले वार करेगी। 

यह खेल जब भी होता था। तो कई दिनों या महीना में समाप्त होता था इस खेल का परंपरा राजा उग्रधु के यहां से शुरुआत हुई थी इस खेल को देखने के लिए बहुत दूर-दूर से राजा महाराजा भी आते थे इस खेल को राजा उग्रधु ही हमेशा से जीतते आते थे। 

इस खेल का रहस्य यह था। कि यदि इस खेल में जो कोई भी जीत जाएगा उसकी युद्ध में जीत निश्चित है। इस खेल का यही रहस्य था। राजा उग्रधु इस खेल के बादशाह थे। यह खेल उन्होंने कभी नहीं हारा था। राजा उग्रधु बुद्धिमान और कीर्तिमान राजा थे। 

एक बार की बात है। राजा को एक युद्ध का निमंत्रण आया और राजा ने उसे स्वीकार किया और युद्ध की तैयारी का अभ्यास अपने सैनिकों को करवाने लगे। कुछ दिनों के बाद राजा अपने सैनिकों के साथ युद्ध के लिए निकल गए और फिर राजा युद्ध भूमि में पहुंच गए।

राजा ने अपने नियमों के अनुसार खेल को शुरू किया दूसरे पक्ष के राजा भी बहुत बलवान और साहसी थे। उनका नाम भी कोसों तक फैला हुआ था राजा बहुत बुद्धिमान थे राजा ने खेल शुरू किया खेल चलने लगा दोनों राजाओं का खेल देखने के लिए बहुत दूर-दूर से राजा और महाराज आए हुए थे।

खेल बहुत दिनों तक चलता रहा दोनों राजाओं का खेल देखकर सभी लोग दंग रह जाते थे। खेल में कभी राजा उग्रधु पक्ष के तरफ से हो जाता था तो कभी दूसरे राजा के पक्ष में खेल चलता रहता था दोनों राजा अपने-अपने बुद्धि से आगे की चाल चल रहे थे। यह खेल देखकर सभी लोग हैरान हो रहे थे कि इस खेल का निर्णय कब होगा

यह खेल कई महीनों तक चलता रहा और यह खेल राजा और उग्रघु के जीवन का सबसे लंबा समय लगने वाला खेल था। दोनों राजाओं का खेल देखकर सभी लोग हैरान हो रहे थे। कि इस खेल का निर्णय क्यों नहीं हो रहा है, उग्रधु राजा के मन में घोर बादल मंडरा रहे थे। राजा को लगता था। कि वह यदि यह खेल वह हार जाएंगे तो युद्ध भी हार जाएंगे।

अब अंत में इस खेल का निर्णय आया। और राजा उग्रधु खेल को जीत गए। राजा उग्रधु को खेल को जितने का श्राप मिला था। कि राजा इस खेल को खेलने के बाद ही किसी युद्ध में विजय प्राप्त कर सकते हैं।


राजा उग्रधु के खेल जीतने के बाद चारों तरफ कोताहल मच गया। राजा की सेना बहुत प्रसन्न हुई। फिर दोनों राजाओं के बीच युद्ध प्रारंभ हुआ। फिर युद्ध भी बहुत घमासान हुआ। युद्ध कई दिनों तक चलता रहा और अंत में राजा उग्रधु की विजय हुई। युद्ध में बहुत हानि हुई थी। और इस हानि को देखकर राजा उग्रधु बहुत ही विचलित हुए। 


और वह अपने राजमहल आए। और फिर वह कई महीनो तक शयनकक्ष में ही रहे। यह देखकर प्रजा भी हैरान हुई। कि राजा को ऐसे कभी विचलित हमने नहीं देखा था। राजा मन ही मन भावनाओं में अब टूट चुके थे। राजा के अंदर वह शक्ति नहीं थी। कि वह अब कोई दूसरा युद्ध का निमंत्रण स्वीकार कर सकें। 


इधर राजा के पुत्र मनुघ भी अपने युवा अवस्था में आ गए थे। फिर राजा ने सभी प्रजा को राज दरबार में बुलाया और राजा ने दूर-दूर के सभी राजाओं को भी निमंत्रण दिया था। सभी लोग राज दरबार में उपस्थित हुए। राज दरबार में राजा के यहां सभी दूर-दूर से राजा महाराजा भी आए हुए थे।


फिर राजा ने अपने बारे में बताया और अपनी भावनाओं के बारे में भी बताया। सभी लोग यह सुनकर हैरान हो गए कि इतने शूरवीर राजा को क्या हो गया। ऐसा क्यों कह रहे हैं। फिर राजा ने अपना फैसला सुनाया। कि अब हम जो खेल युद्ध भूमि में खेलते हैं। वह खेल अब दरबार में होंगे। और अब कोई युद्ध नहीं होगा। जो इस खेल का जीतेगा। वही युद्ध का विजेता होगा। 


यह सुनकर सभी लोग बहुत प्रसन्न हुए। और फिर सभी लोग अपने-अपने राज्य को लौट गए। और फिर तब से राजा के यहां उनके दरबार में ही वह खेल होता था।


दोस्तों मैं आशा करता हूं कि यह कहानी आपको पसंद आई होगी और इस कहानी से आपको कुछ जरूर सीखने को मिला होगा। यदि आप इस खेल का राज जानना चाहते हैं। कि राजा उग्रधु ही क्यों इस खेल को जीतते थे। और इस खेल का रहस्य क्या है। राजा उग्रधु को क्यों इस खेल का श्राप मिला था। आप इस कहानी का दूसरा भाग सुनना चाहते हैं। तो इस लिंक पर राजा की चाल मंत्री की बुद्धि - बुद्धि का खेल क्लिक करें।












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